अश्कों में फिर उफान लाया....!!
रुकी थी जो ज़िन्दगी अब तलक,
उसमे फिर एक तूफ़ान आया...!!
पास आता रहा वो मेरे ख्यालों में,
दुरिओं ने उसे भी बहुत सताया...!!
क्यूँ बैचन रहती है रूह तेरी,
फिर मुझे ये सवाल आया...!!
है उसके लौटने की अब उम्मीद,
दिल उसका भी अब भर आया..!
नफरत हो गई थी उन्हें जिनसे,
उन तस्वीरों से ही दिल बहलाया...!!
ख्यालों में जब तेरा नाम आया,
अश्कों में फिर उफान लाया....!!"
मनीष मेहता