खामोशिओं कि बात करे !
लफ़्ज़ों को छोड़,
अहसासों से कुछ बात करे..!
ज़ख्म जो गहरे है,
फिर से उन्हें महसूस करे..!
दिल से दिल तो सही,
रूह तलक बात करे..!
ज़िन्दगी जो बीत गई अकेले,
उन लम्हों पै सवालात करें..!
चलो आज कुछ यूँ करे,
खामोशिओं कि बात करे..!
अश्क जो थमे है पलकों पै,
आंसुओं की आज बरसात करे..!
कुछ तुम कहो और कुछ हम कहे,
ज़िक्र-ऍ-हालात करे...!
खामोश ही सही,
धडकनों से बात करे..!!
चलो आज कुछ यूँ करें,
खामोशिओं की बात करें. !!
मनीष मेहता !