चलो आज कुछ यूँ करे,
खामोशिओं कि बात करे !

लफ़्ज़ों को छोड़,
अहसासों से कुछ बात करे..!

ज़ख्म जो गहरे है,
फिर से उन्हें महसूस करे..!

दिल से दिल तो सही,
रूह तलक बात करे..!

ज़िन्दगी जो बीत गई अकेले,
उन लम्हों पै सवालात करें..!

चलो आज कुछ यूँ करे,
खामोशिओं कि बात करे..!

अश्क जो थमे है पलकों पै,
आंसुओं की आज बरसात करे..!

कुछ तुम कहो और कुछ हम कहे,
ज़िक्र-ऍ-हालात करे...!

खामोश ही सही,
धडकनों से बात करे..!!

चलो आज कुछ यूँ करें,
खामोशिओं की बात करें. !!


मनीष मेहता !

ravi joshi
18/6/2011 04:41:45 am

बीते दिन फिर याद आते हैं ...आज इस मुकाम पे ...
चलो फिर आज उन दिनों की बात करें...
वक़्त फिर दुहरायेगा वो लम्हा जी जाने को...
चलो आज फिर उन सपनो को जी जाने की बात करें...


....कैसा लगा ज़रूर बताना ....रवि

Reply
govind Singh Jina
4/8/2011 06:24:20 pm

U r Awesume :) nice creation !

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    SAFAR-E-ZINDAGI

    इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी  में ख्वाबों कि दुनिया का मैं भी एक भटकता हूँ मुसाफिर, चला जा रहा हूँ. जा कहाँ रहा हूँ शायद अब तक नहीं पता मुझे, बस  चल रहा हूँ इसलिए कि रुकना खुद को कुबूल नहीं... हर चेहरे के पीछे ना जाने कितने चेहरे छुपे हैं यहाँ, रिश्तों को टूटते  देखा है अक्सर मैने. जाने क्या चाहता हूँ खुद से और क्यूँ भटक रहा हूँ अब तक एक सवाल है मेरे लिए ..जिसका ज़वाब तलाश रहा हूँ मैं ...अपनी एक ख्वाबों कि दुनिया बसा रखी है मैने, खुद को खुद का साथी समझता हूँ मैं, हमसफर समझता हूँ मैं, वेसे तो कुछ भी खाश नहीं है मुझमें, फिर भी ना जाने भीड़ से अलग चलता हूँ मैं, लोगो को और उनके रिश्तो कि देख के अक्सर खामोश हो जाता हूँ मैं, कभी  गर मिलूँगा खुदा से तो पूछुंगा, "खुदा इस खमोशी को वजहा क्या है ??"

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